Sunday, October 28, 2012

उदास किसलिए हो तुम ?

हवा की करवटो ने आसमान पर
लकीरे फिर बनाई है
उन्हे गिनो
कि तुम बहुत उदास हो
उदास किसलिए हो तुम

ये बात तुममे कोई जानता नही
तुम्हारे कान अपने दिल की बाजगश्त भी कभी न सुन सके

तुम्हारे जिस्म बेलहू है

रेत इनमे दौड्ती है
रेत बेसुराब है
तुम्हारी किस्मतो मे बस अजाब है
इसीलिए तुम्हारे हाथो ने ज़मीन को कभी छुआ नही
हवा की करवटो ने आसमान पर
लकीरे फिर बनाई है, उन्हे गिनो॥ 
  
"शहरयार"
- PRESENTED BY RAJEEV YADU

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