Thursday, October 25, 2012

डेलिकेट टू आल माई फ्रेंड्स !

कोई लम्हा ईस कदर याद आता है,
बीता हुआ कल नजर आता है !!
यादे साथ रहती है याद करने के लिए,
बस वख्त सब कुछ लेकर गुजर जाता है !

वो बंक का चस्का ,
वो टीचर को मस्का ,
वो मार्क के झटके ,
वो सर(टीचर ) के पटके ,
वो एक्जाम का भूत,
वो कैंटीन में लूट ,
वो चीटिंग का टेंशन ,
वो लास्ट डे का जश्न ,
वो दवाते का फेम ,
वो क्रीकेट का गेम ,
वो छुप के गर्ल्स को देखना ,
वो क्लास में सब पर चाक फेकना ,
वो लड़कियों को लडको के नाम से चिढाना ,
वो ब्रेक से पहले पूरा टिफिन खाना ,
वो ब्रेक के बाद स्लेवेस चढाना ,
वो वाटर कूलर के बाहर दोस्तों का डेरा जमाना ,
वो वास रूम में जाकर बाल बनाना ,,
वो टीचर के पीछे उसका मजाक उडाना ,
फिर
वो टीचर से मार खाना ,

...ऑवर स्कूल लाइफ हैज ऑफ कोर्स ग्रेट ऑवर ..
बट मेमोरीज विल स्टे विद् एस फॉर एवर
........डेलिकेट टू आल माई फ्रेंड्स ।


- उमाकान्त मिश्र

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