Wednesday, January 20, 2010

गनेशी कथा

चारों ओर से कोहरे में फंसा हुआ
गर्दन तक दलदल में धसा हुआ
इतिहास के गाढ़े धुंधलके में खो गया है गनेशी
हर नई व्यवस्था के नाम
मत पत्रों का पर्याय हो गया है गनेशी

गनेशी आन्दोलन है-शब्द है
लुटने-खसोटने को हरिजन की बेटी-सा
गनेशी उपलब्ध है।
गनेशी नारा है-झंडा है
उर्वरा मुर्गी है - सोने का अंडा है
महलों की नीव के लिये गनेशी मिटटी है, गारा है
रोँआ-रोंआ कर्ज में डूबा, उफ! गनेशी कितना बेचारा है।

थकी जिंदगी का दर्द पीता
काली किताब का मार्मिक अध्याय हो गया है गनेशी

वक़्त की मार से झुका हुआ
हरी घाटी में पानी-सा रुका हुआ
बदबू करता है, सड़ता है गनेशी
आँखों में किस्किरी-सा गड़ता है गनेशी
रोशनी में अंधेर हो गया है गनेशी।

सूरज-सा निकलेगा गनेशी
लावा-सा एक दिन पिघलेगा गनेशी
अन्दर-ही-अन्दर सुलगता- बुदबुदाता
बारूद का ढेर हो गया है गनेशी।

........अजामिल

Sunday, January 17, 2010

इस ब्लॉग के माध्यम से में आप को एक ऐसे कवि से मिलवाने जा रहा हूँ, जो हैं तो बहुत ही प्रतिभावान लेकिन यहाँ पर रह कर उनकी प्रतिभा को प्रयागवासियों ने बिल्कुल भी नकार के रखा हुआ है।
प्रयाग की धरती में बहुत सारे ऋषि मुनियों ने जन्म लिया है, और यहाँ देश के शीर्ष राजनेताओं ने भी जन्म लिया है। आपको इस ब्लॉग में उनसे जुडी तमाम बातें पता चलेंगी तथा प्रयाग नगरी घूमने का मौका भी चित्रों के माध्यम से मिलेगा।

Saturday, January 16, 2010

नमस्कार बंधुओं,
ह्घ्गास्दफ्घ्ज प्रयाग नगरी में आपका अभिनन्दन है। इस ब्लॉग के माध्यम से आपको प्रयाग से जुडी हुई अनछुई बातें पता चलेंगी।
अस्द्द्द्फ़्फ़्द्फ़्द्द्स्द्स्द्स्फ़्फ़्फ़्द्फ़्स्स्स्स्स्स्स्द्फ़्फ़् कृपया अपने सुझाव हमें भेजते रहें।
धन्यवाद
संपादक
प्रयाग एक खोज
इलाहाबाद