Friday, August 23, 2013

जुड़ाव !

जानता हूँ
तोड़ने से ज्यादा कठिन है
जोड़ना
कोशिश भी करता हूँ
कि भरसक मुझसे
कुछ टूटने न पाए
लेकिन टूटना नियति है
जैसे पेड़ से टूटते हैं पके फल और सूखी पत्तियाँ
जैसे गरीब के सपने टूटते हैं
तुम्हारे बाल टूटते हैं
जैसे दुनिया की फरेबी बातों से
टूटते हैं मासूमों के दिल
हाँ तसल्लीबख्श होकर कह सकता हूँ
कि इनमें से
किसी भी टूट से मेरा सरोकार नहीं
पर यह तसल्ली
तोड़ जाती है वह भरोसा जो तुमने मुझ पर जताया था
और मैं जुड़ जाता हूँ
टूटे हुयों की ज़मात में !


-अनिरुद्ध "अनजान"

दीपावली !

दीयों की जगमग से चौंधिया जाए जब  आँगन मेरा
हंस कर बोले प्रतीक्षारत मैं कब से सूना
रंग रंगोली, दीप दीवाली
हर कोने की सुध बुध ले ले

एक दिया हो या हो लाखों  की हो   झिलमिल
राह तकती  घर की देहरी बोले  मैं कब से यहीं
लीपी पुती सफेदी की चादर
लक्ष्मी पाँव निहारूं  एकटक

लड़ियों की माला पहने मुंडेर ने झाँक कर नीचे देखा
इतराती देहरी,मतवाले आँगन  से बोला
ऊपर भी मुझे निहारो
जगमग ,मगन  आज   सूनी माँग  !

चारों दिशाओं में  फैले ज्योति ,पथ  हो जाएँ आलोकित
हर घर ,हर ह्रदय  में हो ऐसा उजियारा
निराश आँखों में  चमक
हताश सांसों में आशा
शुभ दीपावली  की अभिलाषा !     


- पूनम मिश्रा 
ब्लॉग  फलसफ़े (http://poonammisra.blogspot.in/) से साभार.....

लाउडस्पीकर लगाये के मुल्ला देत अज़ान !











लाउडस्पीकर  लगाये  के मुल्ला देत  अज़ान  , चिंतन  में बाधा  पड़े  अल्लाह  है परेशान  !
करें  जागरण  माता  का डी.जे. तेज  बजा , मैय्या मंडप आई हैं ऊँगली कान लगा !
पर्यटन स्थल बन गए सारे तीरथ धाम     , मुक्ति स्थल पर भला क्या हनीमून का काम   ?
नेता अपना  हो गया चौबीस   कैरेट  सच्चा , खुद तो सच्चा देशभक्त जनता कुत्ते का बच्चा !
खरीदारी करते फिरें माह आया रमज़ान  , रोज़े रखकर क्या करे जब अल्लाह में ना ध्यान  ?
शिखा  कौशिक  'नूतन  '

ब्लॉग  विचारों का चबूतरा (http://vicharonkachabootra.blogspot.in/) से साभार .....