Thursday, October 25, 2012

ना भूलें - नारायण -नर को !

दशाअवतार - नहीं
बस राम हों - और
हम राममय हो जाएँ .
चलो 'सर' करलें -
दस सर -दस दिशाएं
आओ दशहरा मनाएं .

आक्रान्ता के भाल पर

उस काल विकराल पर
नए लेख लिखें - पुराने मिटायें

आओ दशहरा मनाएं .

ना भूलें - नारायण -नर को

सहस्त्रा कवच के एक एक -कवच को
भेदें - तिमिर की स्याही को- चलो
अगणित सूर्य की रश्मियों से नहलाएं .
आओ दशहरा मनाएं .

बुझे हुए चाँद तारों को- बदल दें .

राख के ढेर में दबी - चिंगारियों को
कोटि कोटि सूर्यों की मानिंद जगमगायें .
दीवाली बाद में फिर कभी - पहले
आओ दशहरा मनाएं ।

- सतीश शर्मा
टाइम्स ऑफ़ इंडिया

No comments:

Post a Comment