Saturday, October 27, 2012

जो कलम की कोख में आंशुओ को ढोता है !

जो कलम की कोख में आंशुओ को ढोता है
मेरी नजर में वही कवि होता है
अंधेरो की आशा जीवन की परिभाषा
बस एक रवि होता है
काले अक्षरों में रौशनी की बात
कोमल कल्पनाये
और भावनाओ का जजबात
बस एक कवि समझता है

रात की तन्हाई
दर्द की पुरवाई
मिलन की रुसवाई
और अपनों की जुदाई
जो कलम में ढोता है
मेरी नजर में वही कवि होता है!

हकीकत जिंदगी में गुलजार होता है
जब सपनों का व्यापार होता है
कोई कवि जब कल्पना को पलता है
दिल के दर्द को शब्दों में ढालता है
तब फूट पड़ती है
एक कविता
जब अंत ह्रदय में यादो का संचार होता है
दर्द में डूबी कविता का श्रींगार होता है!


- अरविन्द योगी

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