Wednesday, April 13, 2011

तेल अवीव में शरद ऋतु की बारिश !

काउंटर के उस पार से
एक मगरूर और बेहद खूबसूरत स्त्री ने
मीठी केक का एक टुकड़ा बेंचा मुझे.
कठोर थी उसकी आँखें, समुन्दर की तरफ पीठ किए हुए थी वह.
फलक पर काले बादल
भविष्यवाणी कर रहे थे तूफ़ान और बिजली की
और उनका जवाब दे रही थी उसकी देंह
अपनी झीनी पोशाक के भीतर से,
फिर भी थी वह गर्मियों की पोशाक ही,
उग्र कुत्तों की जाग की तरह.

उस रात, एक बंद कमरे में दोस्तों के बीच,
सुना किया मैं भारी बरसात को खिड़की पर तड़तड़ाते
और टेप पर एक मर चुके शख्स की आवाज़ :
टेप, जिसकी रील घूम रही थी
समय की विपरीत दिशा में।

-
येहूदा आमिखाई

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