Sunday, April 10, 2011

जीवन को गीत बनाएँ !

जीवन को इक गीत बनाएँ
सुर ताल से इसे सजाएँ ।
खुशबू से इसको महकाएँ
अधरों से सदा गुनगुनाएँ ।

खुशियों की हो छांव घनेरी
आशा निखरी धूप सुनहरी ।
कल कल बहती नदिया गहरी
उपवन भरी छटा हो छहरी ।

जीवन को इक गीत बनाएँ
आँखों में सपने बसाएँ ।
उड़ने को आकाश दिलाएँ
सरगम से मोती बिखराएँ ।


- कवि कुलवंत सिंह

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