Monday, April 18, 2011

रे माखन की चोरी छोड़ सांवरा मैं समझावु तोय ।

मैं तो सोच्यो गयोरे गयन में रहयो खीरक मैं सोय ।
कोऊ एक ग्वालिन मोहे बतलायो देयी कमरीया खोय ।.....

नव लख धेनु नन्दघर दुझे नीत नयो माखन होय ।
बड़ो नाम तरे नन्दबाबा को हंसी हमारी होय ।.....

बरसाना तेरी भई रे सगाई नीत नई चरचा होय ।
बड़े घरन की राज दुलारी नहीं बेरागी तोय ।.....

यह चोरी नहीं छुटे मेरी मैया होनी हो सो होय ।
सुर श्याम मैया का आग दीयो नैयव भर रोय ।.....

- श्री श्रीजीबाबा महाराज

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