Monday, March 28, 2011

धूल, धूप, दोपहर !

प्रस्तुत कविता सनी कुमार की है। अपने बारे में बताते हुए ये कहते हैं कि नाम सनी है(जिससे आप लोगों का पहले ही तार्रुफ़ है)। पढ़ाई के नाम पे इग्नू से बी।ए का फॉर्म भर दिया है। ऐसा शायद इसलिए कहना पड़ रहा क्योंकि कॉलेज(रेगुलर) में फेल हुआ, तो कॉलेज छोड़ दिया था। उर्दू ज़ुबान के प्रति लगाव था, सो इसी साल उर्दू में डिप्लोमा(मज़ाक़-मज़ाक़ में) मुक्कमल कर लिया। बारिश में फुटबाल खेलना और भीगना पसंद है। ख़ाली वक़्त में कभी-कभार शतरंज(ग़लती से बचपन में एक दोस्त से सीख लिया था) खेल लेता हूँ। दिल्ली में ही पला-बढ़ा हूँ और पढ़ (हिंदी साहित्य पढने का शौक़ है मुझे) रहा हूँ। मालवीय नगर के एक मोहल्ले (जिसे लोग झुग्गी कहते है) में रहता हूँ। फिलहाल इस कमजात परिचय से ही काम चलाइये। फोटो (जिसमें मेरी शक्लोसूरत थोड़ी सी ठीकठाक हो) कभी आगे भेज दूँगा।
ईमेल- halfmoon_sunny@yahoo.इन

जल रहीं हैं दोपहरें
तवे-सी तप रहीं हैं सड़कें भी
खौल रहें हैं बी.आर.टी. बस स्टैंड
दिल्ली सरकार के

हवा धूल चखाती चल रही है

इसी नंगी धूप वो में आदमी बेंचता है
धूप के चश्मे
पसीने में तर एक लड़का लग रहा है आवाजें---
"रुमाल ले लो... रुमाल"

यहीं पे बैठा है मोची भी
अपनी छतरी को सूरज की तरफ़ करके
मुँह में बीड़ी दबाए हुए
धुँए से ज़्यादा धूल फाँक रहा है

भगवान जाने सूरज बाबा से
क्या डील हुई है इनकी


गाड़ियों के इंजन आग उगलते चल रहे हैं
जितनी महँगी गाड़ी
उतनी गर्म हवा...

मंटो ने लिखा है कहीं
"बम्बई में इतनी शदीद बारिश पड़ती है कि
आप की हड्डियाँ तक भिगो दे"
दिल्ली की गर्मी आपकी हड्डियाँ तो नहीं पिघलाती
आपकी चमड़ी से धुँआ ज़रूर उठा देती है...

भंवे सिकुड़ आईं हैं
चेहरे चिलचिलाये हुए हैं
लड़कियों की बगलें
और औरतों के ब्लाउज पसीने से परेशान हैं

सूरज आसमान पर नहीं
सब के चेहरे पे उग आया है जैसे
हलक़ में काँटे भी चुभ रहे हैं या यूँ कहूँ कि जैसे
मधुमक्खी ने डंक मारा हो

ब्लू लाइन बस का कंडक्टर
खा के गुटखा
छोड़ रहा है भभका
वो लड़की मुँह बिचकाती है
और दूर जाके खड़ी हो जाती है
बस पीटते हुए कंडक्टर
कान पे चिल्ला रहा सबके---
"आई.टी.ओ...आई.टी.ओ...मटरो...दिल्ली गेट...ऐ बस अड्डा..बस अड्डा..
बैठो.. ऐ आओ..आओ..आओ बस अड्डे वाले...

बस आ रहीं है लाल वाली
ए.सी. वाली है
चढ़ रहे है वो
जिनकी थोड़ा पैसा है जेब में
उतर रहें है दुगनी तेज़ी से
क्यूँकि ए.सी. बस का
ए.सी. ख़राब है

इसी बीच गुज़र रहा
दिल्ली जल बोर्ड का टैंकर
जीभ चिढ़ता हुआ...
पानी बिखेरता हुआ...

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