Wednesday, March 2, 2011

वसंत !

वसंत आ रहा है
जैसे मां की सूखी छातियों में
आ रहा हो दूध

माघ की एक उदास दोपहरी में
गेंदे के फूल की हंसी-सा
वसंत आ रहा है

वसंत का आना
तुम्हारी आंखों में
धान की सुनहली उजास का
फैल जाना है

कांस के फूलों से भरे
हमारे सपनों के जंगल में
रंगीन चिड़ियों का लौट जाना है
वसंत का आना

वसंत हंसेगा
गांव की हर खपरैल पर
लौकियों से लदी बेल की तरह
और गोबर से लीपे
हमारे घरों की महक बनकर उठेगा

वसंत यानी बरसों बाद मिले
एक प्यारे दोस्त की धौल
हमारी पीठ पर

वसंत यानी एक अदद दाना
हर पक्षी की चोंच में दबा
वे इसे ले जाएंगे
हमसे भी बहुत पहले
दुनिया के दूसरे कोने तक।

- एकांत श्रीवास्तव

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