Tuesday, March 1, 2011

आँखों का मन पानी है जी !!

इनमे भी नादानी है जी
आँखों का मन पानी है जी

माज़ी मुझमे ठहरा है तो
मुझमे एक रवानी है जी

मेरे घर की दीवारें तो
बच्चों की शैतानी है जी

धूप सुखाने सूरज आया
पानी को हैरानी है जी

बच्चों मे जा बैठा है वो
वो भी एक कहानी है जी

साहिल पर ही डूब गया जो
सहरे का सैलानी है जी

'आतिश' आंच हैं सच्ची दुनिया
बाकी जो है फानी है जी

- स्वप्निल आतिश

No comments:

Post a Comment