Monday, December 31, 2012

देखो वो जगाकर सो गई !


ज़िन्दगी के साथ मौत रो रही है 
भाई के साथ हर बहन रो रही है
भगत सिंह तुम्हारा भारत बदल गया
सत्ता के हांथों फिर कतल हुआ
एक बेटी को जीते जी मार डाला
मतलबी सत्ता का दाल गला डाला
हर शहर हुआ अब जलियावाला
देश जला रहा खुद ही रखवाला
मौत हर अब करती सबका पीछा
पहले तो ऐसा ना भारत दिखा
इज्जत की बात नहीं है
बेशर्मी की हर हद तो देखो
जो चला गया वो पूजा जाये
जो जिन्दा रहा वो मारा जाये !!

भारत एक छोटा सा बच्चा है
बस एक झुनझुना चाहिए
सत्ता चलने के लिए नेताओं को,
फिर एक मासूम खिलौना चाहिए
माँ भारती माँ भारती माँ भारती ,
तुझे समर्पित शहीद दामिनी की
चीख पुकार भरी पावन आरती !!

ओ माँ ! तू शेर जननी है
 हम तेरे आँचल की शान बढ़ाएंगे
विश्व गुरु फिर भारत को बनायेंगे
मात्री शक्ति भारत में नारीत्व जगायेंगे
फिर हम भी एक दिन सो जायेंगे
मौत की रात में हम खो जायेंगे
तमाशाई दुनिया तमाशा बनायेंगे
कुछ स्नेह की प्रीत गुनगुनायंगे
 कुछ भारत के गीत बन जायंगे
पर आज ज़िन्दगी की रीत टूटी है
अब भारत से किस्मत रूठी है
 बिश्मिल तुम फिर वापस आओ
भारत के रावनो से यह देश बचाओ !!

तुम्हारी बहनों की आन दावं पर
भारत बिक रहा देखो थोक भाव पर
तुम्हे भारत की माटी की कसम ,
फिर मोहन का वृन्दावन लायेंगे
राम राज्य की अयोध्या सजायेंगे
फिर कोई ज़िन्दगी न जुदा होगी
अपनी इज्जत की माटी से !!

देखो वो जगाकर सो गई
फिर यह शोर शराबा कैसा है
मीलों लम्बी ख़ामोशी है
इज्जत अब बर्बाद हुई है
दामिनी संग तेरी भारत माँ
आज फूंट फूंट कर रो रही हैं

यह कविता क्यों ? दर्द भरे आंसुओं में भींगी हुयी लेखनी से सत्ता की आंच पर तड़प रही शहीद दामिनी को समर्पित उसकी अपनी माटी भारत से !वन्देमातरम .अरविन्द योगी

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