Monday, December 31, 2012

ले लो कंघा (बाल कहानी) !

बहुत समय पहले की बात है I एक बुढ़िया  गाँव के बाहर एक झोपड़ी मे रहती थी I उसके घर के पास ही एक नदी बहती थी,जिससे वह पानी भरती,और झोपड़ी के बाहर ही उसने खाली जगह पर कुछ फल और सब्जियों के पेड़ लगा रखे थे I इन पर आने वाले फलों को गाँव मैं बेचकर वह अपनी जीविका चलाती थी I सुबह रोज गाँव जाने से पहले वह अपना चेहरा नदी में जाकर धोती थी , और पानी में देखकर अपने बाल सँवारती थी क्योंकि उसके पास आइना नहीं था I   

               एक दिन रोज की तरह जब वह नदी किनारे बैठकर अपने बाल ठीक कर रही थी,तो अचानक पानी में,बहुत तेज हलचल हुई और उसमे से एक बहुत बड़े दैत्य ने अपना सर निकाला I बुढ़िया तो उसकी बड़ी बड़ी आँखें और खड़े बाल देखकर डर के मारे थर थर काँपने लगी I दैत्य उसे देखकर बोला-" तुम्हें मुझसे डरने की कोई जरुरत नहीं  है I मैं तो तुमसे केवल यह प्रश्न पूछने आया हूँ  कि तुम रोज इस नदी में अपना चेहरा देखकर क्या करती हो ?

बुढ़िया  डरते हुए बोली-" मैं इस कंघे से अपने बाल ठीक करती हूँ  I मैं बहुत गरीब हूँ  और आईना खरीदने के मेरे पास पैसे नहीं बच पाते है I "

दैत्य आश्चर्य से बोला-" तो क्या इस कंघे से मेरे बाल भी ठीक हो जायेंगे ?"

"हाँ-हाँ,बिलकुल हो जायेंगे I कहते हुए बुढ़िया  ने उसे कंघा पकड़ा दिया I

दैत्य ने भी कंघे से अपने खड़े बालों को संवारा और पानी में अपना चेहरा देखकर खुश हो गया I वह चहकते हुए बोला-"तुम यही रुकना , मैं अभी आया I "

और वह पानी के अन्दर चला गया I कुछ ही देर बाद वह मुट्ठी भर हीरे लेकर आया और बुढ़िया से बोल-" तुम मुझे कंघा दे दो और ये सारे हीरे ले लो I "

बुढ़िया की आँखें हीरों की चमक से चौंधियां गई I

               उसने कभी सपने में इतने हीरों के बारे में नहीं  भी नहीं सोचा था ,ना ही कभी इतने हीरे देखे थे I पर फिर भी हीरे देखने के बाद उसके मन में हीरों के प्रति कोई लालच नहीं था I इसलिए वह सरलता से बोली-"मुझे ये हीरे नहीं चाहिए I तुम ये कंघा यूं ही ले लो I मैं बाज़ार से दूसरा कंघा ले लूंगी I "

               दैत्य उसका भोलापन और ईमानदारी देखकर बहुत खुश हुआ I उसने कहा--"नहीं, यह तो तुम्हें रखने ही पड़ेंगे I इससे तुम अपनी बाकी जिंदगी आराम से गुज़ारना I मुझे जब भी बुलाना हो तो तीन बार "आ जाओ,आ जाओ" कहना , मैं आ जाऊँगा I बुढ़िया  की आँखों में ख़ुशी के आँसूं आ गए I वह हीरे लेकर अपने घर चली गई I बुढ़िया ने कुछ हीरे बेच दिए और आराम से एक बड़े घर में अपने नौकर -चाकरों के साथ रहने लगी I पर उसकी पड़ोसन,जो बहुत चालाक और झगड़ालू थी,उसकी समझ में नहीं आ रहा था कि बुढ़िया अचानक इतने एशो आराम से कैसे रहने लग गई I

               एक दिन जानबूझकर वह फटे-पुराने कपड़े पहनकर उदास चेहरा लेकर बुढ़िया के पास जा पहुंची और बोली-" चाची,हमारा सब कुछ कल रात चोर लूटकर ले गए,अब तुम्ही मुझे कोई  रास्ता बताओ I "

         इतना कहकर वह फूट-फूटकर रोने का अभिनय लगी I

               बुढ़िया बोली-" तुम चाहो तो मेरे साथ आकर रह लो I "

               पर पड़ोसन को तो बुढ़िया के पैसो का पता लगाना था I इसलिए उसने कहा-" नहीं चाची,जैसे तुम्हारे पास इतना धन आया ,अगर तुम हमें बता दो ,तो हम भी वैसे ही मेहनत कर लेंगे I "

               बुढ़िया हँसते हुए बोली-"अरे ,यह तो एक दैत्य की मेहरबानी है I " और यह कहते हुए उसने सारी कहानी पड़ोसन को बता दी I

पड़ोसन ने कहा-" अच्छा चाची,तो मैं अब चलती हूँ I "

               और यह कहकर वह बुढ़िया के घर से अपने घर की तरफ भागी I घर पहुंचकर उसने सारी बातें अपने पति को बता दी I उन दोनों ने आपस में सलाह की और फिर उस औरत ने आँखें नचाते हुए कहा-" जब काकी के पास आईना नहीं था तो दैत्य ने उन्हें इतने सारे हीरे दिए,अगर हमारे पास कंघा भी नहीं होगा तो हमें ज्यादा हीरे मिलेंगे I "

               पति बोला-" हम उसे अपने सारे गहने और पैसे भी दे देंगे ताकि वो हमें ज्यादा हीरे दे I "

और वे दोनों तुरंत तैयार होकर अपने बाल बिखेरकर नदी किनारे गए और सारा दिन नदी में देखकर बाल ठीक करते रहे I.

जब शाम होने लगी तो वे नदी में देखकर तीन बार बोले-" आ जाओ "

यह कहते ही पानी में हलचल हुई और दैत्य बाहर आ गया I

               दैत्य ने पूछा -" तुम लोग कौन हो ?.और इस तरह से पूरे चेहरे पर बाल क्यों बिखराए हो ? "

पत्नी उदास सा चेहरा बनाकर बोली -" चाची ने हमें तुम्हारे बारे में बताया I हमारे पास भी कंघा और आईना नहीं  है I."

यह सुनकर दैत्य कुछ सोचने लगा I.

तभी पति दैत्य को गहनों की पोटली देते हुए बोला- " हम तुम्हें देने के लिए यह उपहार लाये है

दैत्य बोला-" मैं तुम दोनों से बहुत खुश हूँ I पहली बार मुझे किसी ने कोई उपहार दिया है I"

पत्नी आवाज़ को मधुर बनाते हुए बोली- "आपकी जो इच्छा हो वही दे दीजिये I'

दैत्य बोला -" ठीक है, मैं आज तुम दोनों को अपनी सबसे प्रिय वस्तु दूंगा I"

और यह कहकर वो पानी के अन्दर चला गया I

दोनों पति पत्नी ख़ुशी से नाचने लगे I

पति बोला-" लगता हैं हमारे लिए कोई मूल्यवान वस्तु लाने गया है I"

पत्नी उत्साहपूर्वक बोली-"हाँ,अब तो हम राजा से भी अमीर हो जायेंगे I"

तभी दैत्य पानी से बाहर आया और बोला-" अब तुम दोनों अपनी आँखें बंद करके हाथ आगे करो I."

दोनों ने झटपट अपनी आँखें बंद करके दोनों हाथ फैला दिए I

दैत्य बोल-" दोस्तों,अब मैं यहाँ से हमेशा के लिये जा रहा हूँ I

इसके बाद जैसे ही उन दोनों ने अपनी आखें खोली तो उनके हाथ में चाची का वही पुराना कंघा था I

दोनों वहीँ बैठकर दुःख के मारे फूट फूट कर रोने लगे I ज्यादा धन कमाने के लालच में जो कुछ भी उनके पास था,उससे भी हाथ धो बैठे I लालच नहीं करने का सबक पाकर वे मेहनत  मजदूरी करके अपना जीवन यापन करने लगे I


-डॉ. मंजरी शुक्ला

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