Wednesday, December 5, 2012

जय श्री श्याम !

सेठ कहे तुझे सेठ साँवरा,दिन कहे तुझे दीनानाथ
तुम्हीं बताओ सेठ साँवरा,हो या तुम दीनों के नाथ

सेठ भरे तेरी हाजरी,करते हैं तेरा मनुवार
दीन करे तेरी चाकरी,आते दर पर ले परिवार

एक भरोसा तेरा मुझको, लाज मेरी है तेरे हाथ
तुम्हीं बताओ सेठ साँवरा,हो या तुम दीनों के नाथ

सेठ कहे तुझे सेठ साँवरा,दिन कहे तुझे दीनानाथ
तुम्हीं बताओ सेठ साँवरा,हो या तुम दीनों के नाथ

मैं जो तुझे बुलाना चाहूँ.,घर आँगन में मेरे श्याम
सोच-सोच कर मैं शरमाऊं,कहाँ बिठाऊंगा तुझे श्याम
नहीं बिछाने को है चादर, नहीं है सर पर मेरे छात
तुम्हीं बताओ सेठ साँवरा,हो या तुम दीनों के नाथ

सेठ कहे तुझे सेठ साँवरा,दिन कहे तुझे दीनानाथ
तुम्हीं बताओ सेठ साँवरा,हो या तुम दीनों के नाथ

सुदामा के तन्दुल भाये, झूठे बैर शबरी के खाये.....
दुर्योधन का महल त्याग कर,विदुराईन के घर तुम आये
कब आओगे घर तुम मेरे,टीकम' से करने तुम बात
तुम्हीं बताओ सेठ साँवरा,हो या तुम दीनों के नाथ

सेठ कहे तुझे सेठ साँवरा,दिन कहे तुझे दीनानाथ
तुम्हीं बताओ सेठ साँवर,हो या तुम दीनों के नाथ

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