Thursday, February 21, 2013

गजल !

' उन्हें क्या खोजना जो घर जलाएं ?
वो अपने घर गए, हम घर बनाएं ।

हकीकत जान जाती है ये दुनिया
मुखौटे आप हम जितने लगाएं !

मैं गजलें पढ रहा, शामेसुखन है
मेरे कातिल से कहिए,सर छुपाएं !

यहीं पर खत्म ये किस्सा नहीं था,
मगर तुम सो गए तो क्या सुनाएं !

उचट जाती है अब भी नींद मेरी
महज कर याद, तेरी वो सदाएं !

अकेले हम चलेंगे राहेमकतल
कोई देखे तो जीने की अदाएं!

ये लम्बी दास्तां है, जिन्दगी-सी
तुम्हें अच्छी लगी तो कल सुनाएं !! 


रविकेश मिश्र

No comments:

Post a Comment