Friday, September 21, 2012

काहें को ब्याही बिदेस !


काहें को ब्याही बिदेस अरे लाखिया बाबुल मोहे...
काहें को ब्याही बिदेस
हम तो बाबुल तोरे खूंटे की गइया...जहाँ कहोगे बंध जाएँ..
भैया को दीन्हों बाबुल महला दू महला...हमका दीन्हो परदेस
अरे लाखिया बाबुल मोहे...काहें को ब्याही बिदेस....
...
हम तो बाबुल तोरे बेले की कलियाँ..घर घर मांगे हीं जाए...
हम तो बाबुल तोरे पिंजरे की चिरिया ..कुहुक कुहुक रोती जाए..
अरे लाखिया बाबुल मोहे...काहें को ब्याही बिदेस..
--
हज़रात आमिर खुसरो

No comments:

Post a Comment