Sunday, September 2, 2012

माई, जब तक हमरा सर पे तोहरा आंचल के छाव रहे ..

जब हम जगनी
दुनिया में पहिला बार .
आंख के पलकन
के बीच से देखनी
ख़ूबसूरत संसार

तब शायद हमरा के
तू अपना गोदी में लेके
सहारा देके हमरा के
रखले रहलू
हमरा के अपना
ममता के छाव में
ओकरा उपर से रहे
तोहरा आंचल
के छाया ,

जेकरा भीतर
शायद भगवान के भी
अनुमति ना रहे
जे हमरा के
पुचकराश भा दुलारश
भला मौत के
का बिसात रहे ...

माई ..
सब तब तक
ही रहे .....
माई... जब तक
हमरा सर पे
तोहरा आंचल के छाव रहे ..



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