Sunday, September 2, 2012

बारिश में भींजत उनका के देखनी जब !

बारिश में भींजत उनका के देखनी जब,
तब बारिश से जलन होखे लागल.
कईसे बचा ली उनका के ये बारिश से?
हर अंग के अब छुए लागल.

गौर से देखनी उनका चेहरा के जब,
एगो शंका मन में जनमे लागल.
मेघ के तरफ चेहरा उठा के बतियावत रहली,
हम सोचनी की मेघ के भी प्यार होखे लागल.

बारिश जब कुछ कम भईल,
फेर ठंढा समीर बहे लागल.
हमरा में खुद के छुपावे लगली,
तब काबू कईला के बाद भी दिल बहके लागल.

कुछ बूंद ऊनका चेहरा पर अभी भी रहे,
बुन्दवा दिल जरावे लागल.
जब हटईनी अपना हाथ से बूंद के हम,
ऊनकर चेहरा कयामत बरसावे लागल.

भींजल केश के साथ भींजल बदन,
दिल में अजबे आग लगावे लागल.
सोचनी अब कबो बारिश में भींजे ना देम,
तब तक मेघ फिर से बारिश बरसावे लागल..
-संजय


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