Wednesday, January 12, 2011

खिलखिलाए

शोक में, उल्लास में
दो बूँद आंसू झिलमिलाये
देखकर प्यासे सुमन पगला गए और खिलखिलाए।


साजिस थी इक,
सूर्य को बंदी बनाने के लिए
जंजीर में कैद किरणें
तमस लाने के लिए
नादान मेढक हुए आगे,
राह इंगित कर रहे
कोशिशों में जुगनुओं ने चमक दी और पर हिलाए,
देखकर नन्हे शिशु पगला गए और खिलखिलाए।

बादलों के पार,
बेचैनी भरी मदहोश चितवन
देख सुन्दर सृष्टि क्यों न रोक पाई दिल कि धड़कन,
भाव व्याकुल हो तड़ित सा,
काँप जाता तन-बदन
मधुर आमंत्रण दिए,
निःशब्द होठों को हिलाए
देखकर रूठे सनम पगला गए और खिलखिलाए।

नृत्य काली रात में था
शरारत के मोड़ पर
सुर बिखरता,
फैल जाता ताल लय को तोड़ कर
छू गया अंतस,
प्रणय का गीत मुखरित हो उठा
थम गई साँसे उलझ कर जाम लब से यों पिलाये
देखकर प्यासे चषक पगला गये और खिलखिलाए।

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