Thursday, January 13, 2011

टेक्नोलाजी का इस्तेमाल करें और अपना भविष्य बनायें बेहतर।

मुंबई महानगर के एक उपनगरीय इलाके डोम्बिवली में स्टेशन के निकट रेलवे ओवरब्रिज के नीचे कई हाथ ठेले खड़े रहते हैं, जिन पर कई तरह की चीजें बिकती रहती हैं। शाम को घर लौटते समय लोग अक्सर स्टेशन के बहार स्थित इस जगह से अपनी रोजाना की घरेलू जरूरतों का सामान खरीदकर ले जाते हैं। इन तमाम ठेले वालों की कमाई भी यहाँ ठीक-ठाक हो जाती है क्योंकि हर कोई कुछ न कुछ अलग सामान ही बेच रहा होता है। यहाँ कुछ ठेलों में सब्जियां भी बिकती हैं क्योंकि ट्रेन से उतरने वाले ज्यादातर मुसाफिर घर जाने से पहले थोड़ी बहुत ताजी सब्जियां खरीदना पसंद करते हैं, लेकिन राजू की दुकान यहाँ स्थित बाकी दुकानों से कई मायनों में अलग है। राजू तमिलनाडु के तिरूनेलवेली शहर से यहाँ आया है और वह दसवीं तक पढ़ा है। पढ़े होने के कारण टेक्नोलाजी का इस्तेमाल वह अपने फायदे के लिए बड़ी आसानी से कर सकता है। सन १९९० के दशक में पेजर के दौर में इस यन्त्र के अधिकतम इस्तेमाल के जरिये धन कमाने वालों में राजू भी शामिल था। वह कामकाजी महिलाओं से पेजर पर सब्जियों का आर्डर लेता था और उनके आने से पहले सब्जियों को छाँट और धोकर इस हिसाब से काटकर रखता था कि ये महिलायें अपने किचन में जाकर इन सब्जियों को सीधे पका सकें। यहाँ तक कि उस समय लोग यह जोक कहा करते थे कि यदि पतिदेव यह जानना चाहतें हैं कि उनके घर में कौन सी सब्जी पक रही है तो उनको किसी और से नहीं बल्कि राजू से पूछना चाहिए कि उनकी पत्नी ने उसकी दुकान से क्या सब्जी ली है और किसके लिए ली है। वैसे यह सारी जानकारी राजू की उँगालियोँ पर ही होती थी, उसकी इसी खूबी की वजह से वहां से गुजरने वाले पुरुष भी उससे फल-सब्जियां वगैरह लेते रहते। उसके बाद जब मोबाइल आ गया और पेजर गायब हो गया तब राजू भी मोबाइल से आर्डर लेने लगा। अब राजू के ग्राहक सीधे उसके मोबाइल पर बात करके मोल-भाव भी करते हैं। इससे राजू को अपना कारोबार बढ़ने में काफी मदद मिली और वह एक तरह से वेजीटेबल पिकअप पॉइंट बन गया क्योंकि ग्राहक और उसके बीच दाम और मात्रा की बात पहले से ही तय हो जाती है। राजू अपने ग्राहकों को आज कौन सी सब्जी लेनी है यह सलाह भी फोन पर ही देता है, वह यह भी बताता है कि आज कौन सी सब्जी महंगी है और क्यों? राजू के पास मांग और आपूर्ति की सारी जानकारी होती है, उसके पास नासिक या पुणे में होने वाली अचानक बारिस की खबर भी होती है जिससे सब्जियों कि आपूर्ति प्रभावित होती है। इस तरह कि जानकारियां वह अपने ग्राहकों को भी देता रहता है जिससे गृहणियों को अपने किचन का बजट प्लान करने में काफी मदद मिलती है। हाल के दिनों में सब्जियों के दामों में आये उतार-चढाव ने उसे स्टार बना दिया। हालाँकि राजू ने भी कीमतें बढ़ाई, लेकिन उसने हमेशा ऐसे ग्राहकों को धयान में रखा जो कीमतों के प्रति संवेदनशील होते हैं, और वही सब्जियां स्टोर की, जो मध्य वर्ग के बजट के भीतर आ जाये।
आखिर में में यह भी बताना चाहूँगा कि उसके पास १५ लाख रुपये के दो माकान हैं और उसके बच्चे कॉन्वेंट स्कूल में पढतें हैं जो क्रमशः आठवीं और दसवीं में पढतें हैं। मेन बाजार में उसकी सब्जियों कि दो दुकानें हैं, लेकिन वह स्टेशन के पास स्थित इस जगह से अपनी दुकान हटाने के लिए तैयार नहीं है क्योंकि इससे वह उन मुसाफिरों से जुड़ा रहता है, जो यहाँ से रोज गुजरतें हैं और इसी उपनगर के रहवासी भी हैं। राजू की सफलता को कह सकते हैं कि वह एक ही ग्राहक से अधिक मुनाफा कमाने के बजाय हमेशा ऐसे ग्राहकों के बारे में पहले सोचता है जो कीमतोऐन के प्रति ज्यादा संवेदनशील होते हैं। अपने इसी खूबी और टेक्नोलोजी के सही इस्तेमाल कि वजह से वह लोगों के बीच काफी लोकप्रिय है। आप भी टेक्नोलोजी के इस्तेमाल और अपनी सूझ-बूझ से मुनाफा कमाते हुए अपना भविष्य बना सकते हैं।

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