Tuesday, November 16, 2010

प्यार की दुनिया को फिर से देख लो इक बार तुम !

प्यार की दुनिया को फिरसे, देखलो इकबार तुम
मान जाओ, आ-भी-जाओ, मत करो इनकार तुम
उस जगह तो प्यार कोई, कर न तुमको पाएगा
फिर चले आओ वहाँ, कभी थे जहाँ इकबार तुम

प्यार की दुनिया को फिरसे, देखलो इकबार तुम

कुछ गलत और कुछ सही, ज़िन्दगी तो है यही
होगा क्या उस जीत का, ये ही गर जो ना रही
जो नेता मरने को कहे, रहो उससे होशियार तुम
उसपार की जाने ना कोई, खुश रहो इसपार तुम

प्यार की दुनिया को फिरसे, देखलो इकबार तुम

जो भी सुलझा है जहाँ में, जंग से सुलझा नहीं
उलझा मगर ज़रूर है, तुम मानो या मानो नहीं
मारती है लकड़ी भी, गर बनाओगे हथियार तुम
नाव आगे खे ही लोगे, बनाओ उसे पतवार तुम

प्यार की दुनिया को फिरसे, देखलो इकबार तुम

कभी हारना कभी जीतना, ज़िन्दगी में आम है
हर हाल में पर मुस्कुराना, आदमी का काम है
जो करोगे सो भरोगे, ये तो जानते हो यार तुम
प्यार का फिर ज़िन्दगी को, दे-ही-दो उपहार तुम

प्यार की दुनिया को फिरसे, देखलो इकबार तुम

मौत से ठगती है तुमको, ये तुम्हारी ज़िन्दगी
तुम देखना रूठे नहीं, तुमसे तुम्हारी ज़िन्दगी
शक्ल से तो प्यारे हो, अक्ल से समझदार तुम
खांमखां ही मौत से, खा ना जाना मार तुम

प्यार की दुनिया को फिरसे, देखलो इकबार तुम
मान जाओ आ भी जाओ, मत करो इंकार तुम
उस जगह तो प्यार कोई, कर न तुमको पाएगा
फिर चले आओ वहाँ, कभी थे जहाँ इकबार तुम

प्यार की दुनिया को फिर से, देख लो इक बार तुम

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