Monday, November 12, 2012

माटी का दिया !

माटी का ए दिया
माटी के पुतलों से ना जाने क्या क्या कह जाता
माटी का दिया
तेल में डूबा कपास
अग्नि से प्रज्वलित प्रकाश
जगमगाते दियो का ए समूह
अँधेरे को दूर भगाता
बाती से बाती मिलाओ
बिना भेदभाव किये सबको प्रकाशित करता
खुद जलता पर राह दिखाता माटी का ए दिया
माटी के पुतलों से ना जाने क्या क्या कह जाता !

- शैलेन्द्र दुबे

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