Monday, November 12, 2012

जग है जगमग

हेरत नयन गए हेराय
जग है जगमग
कूप अँधेरा
मिले जो तुम तो होवे
उजेरा

मन भी कुछ हरसाय
जोत बिना दिया ना दिया
जो दिया लौट ले जाय
ना तन ,ना मन
धन ना कुछ भी
तनिक ओट मिल जाय
चले चाहे घनघोर अंधेरिया
तुम्हरी सरन सिवाय
लियो मोहे अपने अंक लगाय !!!

- राघवेन्द्र अवस्थी

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