Thursday, February 17, 2011

उतरा चाँद मेरे आँगन !

फ़लक के तारों को देख
जागती थी तमन्ना

कोई एक सितारा

मेरे आँगन में भी उतरे

उतर आया है पूरा चाँद

मेरी बगिया में

और रोशन हो गयी है

मेरी बाड़ी उसकी चांदनी से


चमक गया है हर पल जैसे

मेरे धूमिल पड़े जीवन का

मिल गया है मकसद जैसे

मुझे अपनी ज़िंदगी का .

मेरी ज़िंदगी की धुरी का वो

केन्द्र बन गया है

मेरे घर एक नन्हा सा

फरिश्ता गया है ....

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