Friday, January 4, 2013

इनको भी, उनको भी, उनको भी !

तुमसे क्या झगड़ा है
हमने तो रगड़ा है--
इनको भी, उनको भी, उनको भी !

दोस्त है, दुश्मन है
ख़ास है, कामन है
छाँटो भी, मीजो भी, धुनको भी

लँगड़ा सवार क्या
बनना अचार क्या
सनको भी, अकड़ो भी, तुनको भी

चुप-चुप तो मौत है
पीप है, कठौत है
बमको भी, खाँसो भी, खुनको भी

तुमसे क्या झगड़ा है
हमने तो रगड़ा है
इनको भी, उनको भी, उनको भी !

- नागार्जुन
(1978 में रचित)
 

1 comment:

  1. वाह पढ़ कर मजा आ गया ... बहुत बहुत आभार आपका

    recent poem : मायने बदल गऐ

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