Thursday, January 24, 2013

माँ का चंदा !

सारी सारी रात बेचैन से -
नन्हे टिमटिम करते तारे
माँ और ममता की तलाश में -
आकाश में मंडराते घूमते हैं .

और सुबह होते होते - किसी
ममता भरी माँ का सूना
आँचल देख - उसमे समां जाते हैं .
बच्चे बन उसके घर आ जाते हैं .
और नन्हे तारे से - बन जाते हैं
उसके लाडले चंदा - सूरज .

हर रात ये खेल - आज भी
अबाध गति से - गुपचुप चलता है .
हर तारा - किसी माँ का
चंदा सूरज बनने -रात को
आकाश में निकलता है .
- सतीश शर्मा 

No comments:

Post a Comment