Saturday, May 9, 2015

एक बात कहूं -
छोडो चलो जाने दो। 

अब कह भी दो - यारा
गले में लफ्ज अटक जाते हैं
उन्हें लबों तलक तो आने दो।

जो दिल में कैद बाते हैं
अब उन्हें - खुलके
बिखर जाने दो - जो आँखें
कह रही हैं - प्यार है तुमसे
चलो - अब इन्हें भी आजमाने दो।

गेसुओं में बदलियाँ हैं
बिजलियाँ - आज जीभर के
चमक जाने दो .
सूखे मुरझाये पड़े हैं ख्वाब -कई
इन्हें बारिश में और भीग जाने दो।

इतनी छोटी सी गुजारिश है
तुझसे मेरे खुदा। 

महुब्बत गर - उन्हें
हमी से है - ये बात यार -
जरा उनसे भी मनवाने दो !


- सतीश चंद्र शर्मा

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