Monday, January 6, 2014

'चाभी का गुच्छा'

मै चाभी का एक गुच्छा हूँ...
तुम्हारे प्यार की सुंदर देह पर झूलता हुआ
ये सच है क़ि हर वक़्त तुम्हे मेरी ज़रूरत नहीं
पर तुम्हारा डर मुझे तुमसे
कभी दूर नहीं जाने देता....तुम जब
हर पल सोचती हो---
कहीं मै खो न जाऊं....

तुम्हारी स्मृतियों में बना रहता हूँ
मै.... तुम्हारा चाभी का गुच्छा....

अजामिल
कविता'चाभी का गुच्छा' का एक अंश

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