Sunday, September 11, 2011

सपना मकान का !

सपना मकान का
अपने मकान का
कैसे हो पूरा
खाली पेट
लंगोटी बांधे
सोच रहा है घूरा
सोच रहा है घूरा कैसे
कटेगी ये बरसात
पैताने बैठा है कुत्ता
नहीं छोडता साथ
घरवालों की होती इज़्ज़त
चाहे हों आवारा
बेघर और बेदर को समझे
चोर ज़माना सारा
खाते पीते लोगों को ही
बैंकों से मिलता लोन
जिनका कोई नाथ पगहा
उनके लिए सब मौन
काहे देखे घूरा सपना
काहे दांत निपोरे
कह दो उससे नंगा-बूचा
धोए क्या निचोडे......
सपना मकान का
देख रहा है घूरा!

- अनवर सुहैल

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