Thursday, June 19, 2025

।।जब मैं मर जाऊं ।।

जब मैं मर जाऊं तब वो
लोग ज़रूर आएं मुझसे मिलने
आख़िरी बार
जो मेरे दोस्त रहे सबकी नजर में
जिनमें सब कुछ था
समर्पित दोस्ती के सिवा।
मुझे उनका भी इंतज़ार रहेगा
घाट पर जाने से पहले जो
मुझे अधार्मिक मानते रहे
अपनी धार्मिक आस्थाओं के सामने
मेरी मौत सनातन मानी उन्होंने,
उनका यह भी मानना था कि
मेरी मृत्यु किसी दुनिया चलानेवाले
देवी देवता के साजिश का हिस्सा है। 
मैं उनकी प्रतीक्षा भी करूँगा
अंतिम यात्र पर निकलने से पहले
जो मानते हैं कि जीवन जहां है,
वहां मृत्यु भी बिल्ली सी
दबे पांव आती हैं और
मौका देखकर छीके पर लपकती है
और गिरा देती है
उस बर्तन को
अहंकार से भरा झूलता देह संसार 
सहम कर टूट जाता है
एक चिड़िया फुर्र से उड़ जाती
पिंजरा छोड़ कर। 
अग्निस्नान से पहले
मुझे उन बुजुर्गों का इंतज़ार भी रहेगा
जिनके आशीष
कवच बनकर 
मुझे सहेजे रहे और जिन्होंने मेरा
जीवन आसान बनाया एक सांस से
 दूसरी सांस के बीच की दूरी
तय करते हुए 
उनका शुक्रिया भी कहना चाहूंगा
जिन्होंने मुझे मौलिकता से जीने भी नही दिया
और मुझे अकेला भी नही छोड़ा कि
मैं गहरी नींद में उतर जाता
बिना किसी आहट के।
उनका भी आभार व्यक्त करना चाहूंगा
राम नाम सत्य के उद्घोष से पहले
उन सह्रदय मित्रो का,
अगर वो अपनी व्यस्तता से समय निकालकर
मेरी मिट्टी को अंतिम यात्रा में
ले जाने पहले आ गए
मैं उन्हें खुश होते हुए देखना चाहूंगा
जिन्होंने मुझे नँगा आते हुये देखा था और
मुझे नँगा जाते हुए देखने के लिए अपने
कामधाम छोड़ कर आयेगें।
उन्हें अच्छा लगेगा यह देखकर
कि मौत ने मुझे आखिरकार पकड़ ही लिया और मैं फड़फड़ा भी नही पा रहा हूँ,
मौत से बचकर कहाँ नही भागा .
मंदिर में छुप गया,
मस्ज़िद चर्च गुरूद्ववारा
सब जगह मौत से डर कर भागा।
ईश्वर ने मुझे अपने घर से
निकल जाने को कहा।
मुझे लगा सब जगह असुरक्षित हूँ मैं।
हस्पतालों में सर्वाधिक असुरक्षित रहा। 
मैं उन से भी मिलना चाहूंगा
आखरी वक़्त में
जिन्होंने अपने दिलों में जगह दी मुझे
और मेरे लिए मेरी मौत आसान बनाई।
हाँ, उस बच्चे से मुझे मिला देना
जो मेरे अंधियारे जीवन में बार बार उम्मीद की
रोशनी बनकर आया,
मेरी जिजीविषा बना 
मौत से पहले कई बार। 
मौत के बाद  इंतजार रहेगा
मुझे उस बच्चे को देखने का 
जिसके पास है पूरा जीवन।

** अजामिल
सर्वाधिकार सुरक्षित

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