Tuesday, June 23, 2020

तुम उतनी ही सुंदर रहना (1)

हँसने वाली लड़की ऐसे 
मेरे मन में सजती है
वो कोमल मीठी सी धुन है
जैसे बंशी बजती है

बिना महावर बिछिया पायल
साँस साँस करती वो घायल
गंगोत्री की बूंद वो पहली
ग्रह नक्षत्र सब उसके कायल

दुग्ध धवल वो तब होती है
सात रंग जब तजती है

ओस धुले आंगन में उतरी
वो चाँदी से किरन सुहानी
रति ,वीनस सब उससे फीके
सिर्फ वही है रूप की रानी

मुस्कानो से बुनकर वो ही
गीत हमारे रचती है

-राजेश कुमार

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