Friday, November 27, 2015

बैर बढ़ाते मंदिर, मस्जिद !

27 नवंबर का दिन हो तो एक बारग़ी नहीं भुलाया जा सकता, आत्मकेंद्रित कवि मानकर - 1907 को आज के दिन जन्मे और सारे भारत के सर्वाधिक लोकप्रिय कवियों में एक हरिवंश राय 'बच्चन' जी को । उनके बहुत कुछ लिखे हुए में इतना तो याद आ ही जायेगा बरबस -

मुसलमान और हिन्दू दो हैं,
एक मगर उनका प्याला,
एक मगर उनका मदिरालय,
एक मगर उनकी हाला,
दोनों रहते एक न जब तक,
मंदिर, मस्जिद में जाते ,
बैर बढ़ाते मंदिर, मस्जिद,
मेल कराती मधुशाला ।


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