Friday, November 27, 2015

आप जैसा कुछ नहीं !

राह वैसे बंद कोई है नहीं .
बंदसा उपबंध कोई है नहीं .
प्रेयसी से द्वंद कोई है नहीं
सांवरी सी गौर राधा भी नहीं
गीत प्यारा छंद कोई है नहीं .

प्रेमिका कमसिन है कोमल कामिनी
गज नहीं हिरनी सरीखी गामिनी
लरजती है ना वो नाजुक बेल है .
पाश उसका है या कोई जेल है .
न्यायकर्ता उस सरीखी ना मिले
उसके सम्मुख तो विधाता फेल है .

उसके होनेके हैं अपने फायदे
इश्क है ना प्यार जैसे कायदे .
रूठना मनुहार जैसा कुछ नहीं
प्यार में व्यवहार जैसा कुछ नहीं .
बंधा रहता हूँ मैं कच्ची डोर से
समर्पण अभिसार जैसा कुछ नहीं .

बहूत सीधी बात तुमसे कह रहा
तुकों में अतुकांत जैसा बह रहा .
अन्गृल प्रलाप जैसा भी नहीं
शीत में उत्ताप जैसा कुछ नहीं
पुन्य है ना पाप जैसा कुछ नहीं
पत्नी हो ना - आप जैसा कुछ नहीं .

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