Saturday, July 10, 2021

नहीं साथ कुछ ले जाना है।

साथ नही लाये जब कुछ भी,
फिर काहे का गाना है??
नही साथ कुछ ले जाना है।
जो कुछ लिया जगत से सबकुछ ,
देकर यहीं तो जाना है।
नही साथ कुछ ले जाना है।
जो रिश्ते हैं जो व्यवहारे,
अच्छे - बुरे सब करम हमारे,
यहीं कमाया ,यहीं लुटाया
हाथ खुले रह जाना है।
नहीं साथ कुछ  ले जाना है।
माता - पिता,पति अरू बेटा,
बेटी एक बहाना है।
संगी - साथी रिश्तेदार संग,
रंगमंच ही सजाना है।
खतम हुआ जब अपना अभिनय,
चोला बदला जाना है।
नही साथ कुछ ले जाना है।
प्रारब्ध की करें तैयारी
पिछले का हम भोग करें।
अगला जनम सुधर सुख पावै,
ऐसा कुछ संयोग करे।
फूट गया जो घड़ा पुराना
जल माटी में मिल जाना है।
 नहीं साथ कुछ ले जाना है ।

  साभार : रश्मि शर्मा,  वाराणसी(उप्र)

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