Sunday, March 29, 2020

शहर मेरा आज गांव हो गया है....!

शहर मेरा आज गांव हो गया है...
पड़ोसी कौन है मालूम हो गया है....!!
गाड़ी मोटर की आवाज नही है
पंछियों की आवाज से सबेरा हो गया है..!!
शहर मेरा आज गाँव हो गया है...!!!!

सड़को के दर्द को महसूस कर रहा हूँ....
पेड़ पौधों को सुकून की सांस दे रहा हूँ....
दौड़ भाग भरी जिंदगी मे सुकून हो गया है ....
शहर मेरा आज गांव हो गया है....!!!!

वो कुकर कि सीटियां सुन रहा हूँ ....
वो छत पे झगड़ते बच्चो को देख रहा हूँ ....
पेड पे हिलते पत्ते भी आवाज करते है ....
बहती हवा का भी आभास हो गया है ....
शहर मेरा आज गांव हो गया है....!!!!

समझ आ रहा है दो निवाले बहुत थे ....
गाड़ी बंगला सब फिजुल  हो गया है ....
देखा देखी मे क्या क्या जाने जोड़ गया है....
शहर मेरा आज गांव हो गया है.....!!!!

समझूंगा बैठ कर विज्ञान से क्या जिंदगी आसान बनायी है ....?
पसीना बहाना छोड़ कर पसीना आना सिखायी है.....?
कुदरत से कहीं खिलवाड़ ज्यादा तो नही हो गया है .....
यार शहर मेरा आज गांव हो गया है....!!!!

बीमारी से निपटने को साथ खड़े हो गये है ....
हम सब खुद का भूल आज अपनो के लिये लड़ रहे है ....
ये अपना पन दिल को आज सुकून दे गया है ....
सुनो, शहर मेरा आज गांव हो गया है...

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