Wednesday, March 14, 2012

ओह नन्ही चिड़िया !

ओह नन्ही चिड़िया
जव बहुमंगिला ईमारत के पीछे से
लाल लाल आँखे तरेरता सूर्य
मेरी खिड़की पर झांकता है
तुम पंजो से सलाखे पकड़ कर लटक जाती हो
ओह नन्ही चिड़िया
बालकनी में लगे फूल जब मुस्कान बिखेर देते हैं
बहती बयार में
फूल आगे पीछे ऐसे झूमते हैं
मानो मस्जिद में वच्चे कर रहे हों हफिजा
तुम बच्चो के स्वर में गाने लगती हो
ओह नन्ही चिड़िया
मैं बिस्तेर पर बैठा और तुम रोशनदान पर
तुमसे आँखे मिलते ही मैं बंद कर लेता हूँ अपनी आँखे
इस आशा से कि आँखों पर तुम
दोगी अपना हाँथ / पंजा और
पूँछोगी कौन ?
मैं कहूँगा मेरी बिटिया
ओह नन्ही चिड़िया !

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