Thursday, January 19, 2012

मशीन लाओ पापा !

अमरीका जाओ या चीन जाओ पापा ।
होमवर्क करने की मशीन लाओ पापा ।

सारा-सारा दिन तो
स्कूल में गुजरता
होमवर्क करने को
समय कहाँ बचता ?
टीचरजी को जाकर समझाओ पापा ।

काम नहीं पूरा हो तो
तो पिटाई झेलो
कोई नहीं कहता कि
जाओ, भाई खेलो ।

सोचो, सोचो, कुछ चक्कर चलाओ पापा ।

- बालकवि रमेश तैलंग जी की एक बाल कविता

1 comment:

  1. बहुत ख़ूबसूरत प्रस्तुति, आभार.

    कृपया मेरे ब्लॉग"meri kavitayen " पर भी पधारने का कष्ट करें.

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