Saturday, November 5, 2011

रोटी और बेटी !

रोटी और बेटी
दोनों बहुत जरूरी है ,
इन्सान को इन्सान बनाने के लिए
औरत के मन को समझने,
स्नेह - नेह की डोर पकड़ने
रिस्तो को संजीदगी से निभाने के लिए ,
क्योकि यही वह रिश्ता है, जो कभी
अपने आप को बाप होने का
अच्छे संकल्पों के साथ जीने का
नारी को सम्मान देने का
हरपल एहसास दिलाता है,
चंचल मन को आदर्शवादिता
का, समाज के मूल्यों के साथ
कदमताल कर चलने की नशीहत
देकर औरो से यही ब्यवहार करने का
नैतिक धर्म का पाठ पढाता है
बेटी जब कुछ घंटे के लिए
घर से बाहर जाती है,
बाप को उसके सुरक्षित घर
लौटने की कामना सताती है
बेटी जब अपने घर जाती है ,
बाप को उसके जीवन भर की
सुरक्षा की चिंता सताती है .
और यदि बेटी बाप के जीतेजी
दुनिया से कूच कर जाये तो
मारे गम, बाप की खुबसूरत
बगिया ही उजड़ जाती है
रोटी और बेटी दोनों अनमोल है ,
एक जीवन की राह को कठोर बनाती है,
दूसरी अपने मुस्कान से जीवन में मुस्कान लाती है
एक के लिए हर रोज इन्सान मरता है
दूसरे की खुसी के लिए वह हस कर कुर्बानी चढ़ता है

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