फिर उड़ान को तत्पर सपने
पहले अपने पर को तोलें
जीवन अपनी चाल चलेगा
चलो काल पर धावा बोलें .
मेरा घर तो हैं माटी का
सुंदर तेरा महल बड़ा है
अँधियारा ओटेगा दीपक-
चाहे सूरज द्वार खड़ा है.
जीवन के अवसाद बहूत हैं
हंसी ख़ुशी चल इनको ढो लें .
फिर बसंत की बात करेंगे -
पहले इस पतझर को रो लें
पहले अपने पर को तोलें
जीवन अपनी चाल चलेगा
चलो काल पर धावा बोलें .
मेरा घर तो हैं माटी का
सुंदर तेरा महल बड़ा है
अँधियारा ओटेगा दीपक-
चाहे सूरज द्वार खड़ा है.
जीवन के अवसाद बहूत हैं
हंसी ख़ुशी चल इनको ढो लें .
फिर बसंत की बात करेंगे -
पहले इस पतझर को रो लें
- सतीश शर्मा
टाइम्स ऑफ़ इंडिया
टाइम्स ऑफ़ इंडिया
No comments:
Post a Comment