उफफ्फ्फ्फ़ ...ये
इतने 'शायदों' के बीच -
एक और शायद .
अब बस भी करो -
अंतरे बदल दो - भगवा
ना सही हल्दी से रंग दो -
छोटा - बड़ा या तंग हो - पर
अब चोला बसंती रंग हो .
शायद अन्ना - सुभाष है
ये कैसी बेमेल आस है - ये
इतने दूर के ध्रुव -क्या इतने
पास -पास हैं .
अन्ना को अन्ना ही रहने दो - चाहे
क्षीण सी लहर है - पर इसे यूँही
दोनों किनारों के बीच बहने दो .
जो गाँधी सुभाष ने सहा इन्हें भी
तो थोडा सा सहने दो .
लोगों को क्या है -
लोगों को कहने दो ।
- सतीश शर्मा
टाइम्स ऑफ़ इंडिया
इतने 'शायदों' के बीच -
एक और शायद .
अब बस भी करो -
अंतरे बदल दो - भगवा
ना सही हल्दी से रंग दो -
छोटा - बड़ा या तंग हो - पर
अब चोला बसंती रंग हो .
शायद अन्ना - सुभाष है
ये कैसी बेमेल आस है - ये
इतने दूर के ध्रुव -क्या इतने
पास -पास हैं .
अन्ना को अन्ना ही रहने दो - चाहे
क्षीण सी लहर है - पर इसे यूँही
दोनों किनारों के बीच बहने दो .
जो गाँधी सुभाष ने सहा इन्हें भी
तो थोडा सा सहने दो .
लोगों को क्या है -
लोगों को कहने दो ।
- सतीश शर्मा
टाइम्स ऑफ़ इंडिया
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