सब आने वाले बहला कर चले गये
आँखो पर शीशे चमका कर चले गये
मलबे के नीचे आकर मालूम हुआ
सब कैसे दिवार गिराकर चले गये
लोग कभी लौटेंगे राख बटोरेंगे
जंगल मे जो आग लगा कर चले गये
गारे, चूने पत्थर के दुश्मन देखो
आहन की दीवार बना कर चले गये
दीवारे, दीवारो की जानिब सरकी
छ्त से बिस्तर लोग उठा कर चले गये॥
- बशीर बद्र
आँखो पर शीशे चमका कर चले गये
मलबे के नीचे आकर मालूम हुआ
सब कैसे दिवार गिराकर चले गये
लोग कभी लौटेंगे राख बटोरेंगे
जंगल मे जो आग लगा कर चले गये
गारे, चूने पत्थर के दुश्मन देखो
आहन की दीवार बना कर चले गये
दीवारे, दीवारो की जानिब सरकी
छ्त से बिस्तर लोग उठा कर चले गये॥
- बशीर बद्र
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