प्यार की क्या -
पहचान है .
कहाँ मिलता है
क्या कीमत - मोल
क्या भाव .
कोई बतायेगा -
क्या ढूँढने से मिल जाएगा
या फिर लाटरी है -
नम्बर निकल आएगा .
कुछ भी तय नहीं -
सब भाग्याधीन -
मिले भी - और
ना भी मिले .
फिर लोग क्यों कहते
रहते हैं - प्रेम कर
प्रेम पायें -
अरे बाबा - बताओ
कहाँ से रिक्मैंड कराएं
किस सरकारी -
ऑफिस के चक्कर लगाएं .
- सतीश शर्मा
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