सुबह-सुबह ही मेरी बगिया
चिड़ियों से भर जाती है
उनके चीं-चीं के अलार्म से
नींद मेरी खुल जाती है।
वे कहतीं हैं उठो उठो
अब हुआ सबेरा जागो
उठ कर अपना काम करो
झटपट आलस को त्यागो।
मूल्यवान जो समय गंवा कर
बहुत देर तक सोते
प्यारे बच्चों जीवन में वह
अपना सब कुछ खोते।
शरद तैलंग
vaah chidiyon kaa achchaaa istemaal he mubark ho . akhtar khan akela kota rajsthan
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