उनकी कविता सुनने लोग कई कोस दूर से पैदल चलकर आते थे और रात-रात भर
उन्हें और-और कहकर कविता का रसपान करते थे । हिन्दी और छत्तीसगढ़ी कविता की
क्लासिकता को मंच में भी जिस तरह उन्होंने संभाले रखा वह अप्रतिम है । संत होकर भी राजनीति में मंत्री पद तक पहुँचने वाले जनप्रिय संत कवि पवन
दीवान का वह हँसता खिलखिलाता हुआ चेहरा अब हमें कभी नहीं दिखाई देगा ।
सृजनगाथा डाॅट काॅम परिवार उन्हें सदैव याद रखेगा !
No comments:
Post a Comment