सरस्वती त्रिपथगा यमुना,
संगम पर्व मनाऐगें,
दर्शन अमृतपान कराकर,
सभी जन्म तर जायेगें ।
अर्ध्द कुम्भ हो महा कुम्भ हो,
माघ मास का मेला,
ज्ञान की देवी सरस्वती,
संगम हम बनायेगें।
पावन प्रयाग की पावन गंगा,
पावन पर्व मनायेगें,
रोग मुक्त हो जाये हम सब,
गंगा में नहायेगें।
जलवायु समाहित प्राणवायु,
महिमा खूब बतायेगें,
भक्ष रोगाणु गंगाजल से,
स्वस्थ समाज बनायेगें।
गोमुख गंगोत्री गंगा,
पंच प्रयाग बनायेगें,
मिलकर जन सब सभी प्रदेश,
एकता निभायेगें ।
भूमि उर्वरा मृदा सम्पन्न,
गंगा स्वच्छ बनायेगें,
प्रण लें गंगा मैय्या से,
फूल चढ़ावा और गन्दगी,
मिट्टी में मिलायेगें।
गंगा स्वच्छ बनायेगें,
संगम पर्व मनाऐगें ।।
डाॅ राहुल शुक्ल
संगम पर्व मनाऐगें,
दर्शन अमृतपान कराकर,
सभी जन्म तर जायेगें ।
अर्ध्द कुम्भ हो महा कुम्भ हो,
माघ मास का मेला,
ज्ञान की देवी सरस्वती,
संगम हम बनायेगें।
पावन प्रयाग की पावन गंगा,
पावन पर्व मनायेगें,
रोग मुक्त हो जाये हम सब,
गंगा में नहायेगें।
जलवायु समाहित प्राणवायु,
महिमा खूब बतायेगें,
भक्ष रोगाणु गंगाजल से,
स्वस्थ समाज बनायेगें।
गोमुख गंगोत्री गंगा,
पंच प्रयाग बनायेगें,
मिलकर जन सब सभी प्रदेश,
एकता निभायेगें ।
भूमि उर्वरा मृदा सम्पन्न,
गंगा स्वच्छ बनायेगें,
प्रण लें गंगा मैय्या से,
फूल चढ़ावा और गन्दगी,
मिट्टी में मिलायेगें।
गंगा स्वच्छ बनायेगें,
संगम पर्व मनाऐगें ।।
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