मैं तो सोच्यो गयोरे गयन में रहयो खीरक मैं सोय ।
कोऊ एक ग्वालिन मोहे बतलायो देयी कमरीया खोय ।.....
नव लख धेनु नन्दघर दुझे नीत नयो माखन होय ।
बड़ो नाम तरे नन्दबाबा को हंसी हमारी होय ।.....
बरसाना तेरी भई रे सगाई नीत नई चरचा होय ।
बड़े घरन की राज दुलारी नहीं बेरागी तोय ।.....
यह चोरी नहीं छुटे मेरी मैया होनी हो सो होय ।
सुर श्याम मैया का आग दीयो नैयव भर रोय ।.....
- श्री श्रीजीबाबा महाराज
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