बीत गया जो तुम बिन प्रियतम
वो सब कुछ इतिहास हो गया
तुम आओगे दिल में मेरे
आहट से आभाष हो गया
चंदन वन के कस्तूरी मृग
सी तेरी चितवन प्रियतम
सात आसमां तुझसे नीचे
तू इतनी पावन अनुपम
वक्त वहीं पर थम जाता है
जिस पल कोई खास हो गया
सदियाँ हार गईं हैं कितनी
जाने कितने पल जीते
तुम्हे सोच कर लम्हा लम्हा
इतंज़ार के युग बीते
आसमान को पता नही है
वो अब मेरे पास हो गया
फूलों की घायल घाटी में
तितली अब भी आती है
यमुना जल में आँसू कितने
राधा कहाँ बताती है
सरल प्रेम की कठिन व्याख्या
कान्हा तेरा रास हो गया
- राजेश कुमार
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