खोलो मन के द्वार
बन्द क्यों हैं किवाड़
आने दो अतिथि को
और ताज़ी हवा
बन्द क्यों हैं किवाड़
आने दो अतिथि को
और ताज़ी हवा
बन्द दरवाजों के भीतर
सीलन पैदा हो जाती
जाले बना लेतीं हमारी आशंकाओं की मकड़ी
हम उदासी कैद कर लेते
खुले दरवाजों से अवसर आते
ईश्वर भी नहीं चाहता बन्द हों कभी
मन के दरवाजों पर ताला
किसे लुभाता ?
- राघव ,
अभी-अभी
सीलन पैदा हो जाती
जाले बना लेतीं हमारी आशंकाओं की मकड़ी
हम उदासी कैद कर लेते
खुले दरवाजों से अवसर आते
ईश्वर भी नहीं चाहता बन्द हों कभी
मन के दरवाजों पर ताला
किसे लुभाता ?
- राघव ,
अभी-अभी
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