मीना कुमारी अभिनय और कला के लिए कितनी समर्पित थी, यह साबित होती है - साहब, बीबी और गुलाम फ़िल्म से ।
गुरुदत्त इस फ़िल्म के लिए जब मीना कुमारी के पास गए तो एकबारगी मीना से
साफ़ इनकार करते हुए कहा कि पर्दे पर मैं शराब कैसे पी सकती हूँ ? भारतीय
दर्शकों में मेरी इमेज़ से तो आप परिचित ही हैं ।
गुरुदत्त के चले जाने के बाद मीना ने सोचा कि, गुरुदत्त जैसे संजीदा और प्रतिभाशाली निर्माता और निर्देशक मेरे पास ही क्यों आए ? मीना ने विमल मित्र के उपन्यास 'साहिब, बीबी और गुलाम' को पढ़ा, जिसको आधार बनाकर फ़िल्म का निर्माण होना था । उपन्यास को पढ़ने के बाद मीना ने तुरंत ही गुरुदत्त को फ़ोन किया और कहा कि 'छोटी बहू' की भूमिका के लिए किसी अन्य को चुन न लिया हो तो मैं यह करने को तैयार हूँ । ('इंद्रप्रस्थ भारती' का नया अंक पढ़ते हुए)
प्रस्तुति - जय प्रकाश मानस
गुरुदत्त के चले जाने के बाद मीना ने सोचा कि, गुरुदत्त जैसे संजीदा और प्रतिभाशाली निर्माता और निर्देशक मेरे पास ही क्यों आए ? मीना ने विमल मित्र के उपन्यास 'साहिब, बीबी और गुलाम' को पढ़ा, जिसको आधार बनाकर फ़िल्म का निर्माण होना था । उपन्यास को पढ़ने के बाद मीना ने तुरंत ही गुरुदत्त को फ़ोन किया और कहा कि 'छोटी बहू' की भूमिका के लिए किसी अन्य को चुन न लिया हो तो मैं यह करने को तैयार हूँ । ('इंद्रप्रस्थ भारती' का नया अंक पढ़ते हुए)
प्रस्तुति - जय प्रकाश मानस
No comments:
Post a Comment